डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मान्यता में आ रही बाधाएँ
देश के कई राज्यों और जिलों में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मान्यता नहीं दी जा रही है। यह समस्या न केवल उनके कामकाज में बाधा बन रही है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन भी है।
सरकार के दिशा-निर्देश:
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल मीडिया को पत्रकारिता का मान्य स्वरूप माना है और इसे पारंपरिक मीडिया के समान अधिकार देने की बात कही है। इसके बावजूद, कई स्थानों पर जिला और राज्य प्रशासन डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मान्यता देने में असफल रहा है।
ईएसओ इंडिया की पहल:
ईएसओ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ज्ञापन में निम्नलिखित प्रमुख माँगें उठाई हैं:
- डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को सभी जिलों और प्रदेशों में मान्यता प्रदान की जाए।
- डिजिटल मीडिया पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों और प्रेस ब्रीफिंग में समान भागीदारी का अधिकार दिया जाए।
- पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
ज्ञापन में विशेष रूप से उठाए गए मुद्दे:
ईएसओ इंडिया ने यह भी आरोप लगाया कि कई स्थानों पर डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को दुर्व्यवहार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ज्ञापन में पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ ठोस कानून बनाने की भी माँग की गई है।
डिजिटल मीडिया के लिए क्या कहता है कानून?
डिजिटल मीडिया के लिए बनाए गए Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021 के तहत इसे स्व-विनियमन का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा, संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और अनुच्छेद 21 के तहत पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
मान्यता का अभाव और इसका प्रभाव:
मान्यता के अभाव में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों में प्रवेश करने से रोका जाता है। इसके साथ ही, कई बार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ सामने आती हैं।
ईएसओ इंडिया की मांग: ईएसओ इंडिया का कहना है कि डिजिटल मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और इसे प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समान अधिकार मिलना चाहिए। ज्ञापन में पुलिस द्वारा पत्रकारों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई को रोकने और उनके कार्यों को सम्मानपूर्वक मान्यता देने की बात कही गई।
निष्कर्ष: डिजिटल मीडिया के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। सरकार को डिजिटल मीडिया के पत्रकारों की समस्याओं पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। ईएसओ इंडिया द्वारा उठाई गई इस माँग से देशभर के पत्रकारों को उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और उन्हें वह सम्मान और अधिकार मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।
डिजिटल मीडिया के अधिकार और मान्यता: कानूनी परिप्रेक्ष्य
परिचय
डिजिटल मीडिया भारत में सूचना प्रसारण का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। इसकी पहुँच और प्रभाव व्यापक है, जो पारंपरिक मीडिया के मुकाबले त्वरित, प्रभावी और नवीनता से परिपूर्ण है। इसके बावजूद, कई राज्यों और जिलों में डिजिटल मीडिया पत्रकारों को मान्यता और अधिकार नहीं दिए जाते। इस लेख में, भारत सरकार के नियम, सूचना प्रसारण मंत्रालय की अधिसूचनाएँ, और डिजिटल मीडिया के अधिकारों से संबंधित कानूनी पहलुओं की व्याख्या की गई है। साथ ही, डिजिटल मीडिया पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर रोक लगाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की गई है।
डिजिटल मीडिया की परिभाषा और अधिकार
भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय डिजिटल मीडिया को मान्यता देता है और इसे पारंपरिक मीडिया के समान अधिकार प्रदान करता है।
डिजिटल मीडिया की परिभाषा:
डिजिटल मीडिया उन माध्यमों को संदर्भित करता है जो इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से समाचार, विचार, और जानकारी प्रसारित करते हैं। इसमें वेबसाइट्स, यूट्यूब चैनल्स, मोबाइल एप्स, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
नियम और दिशा-निर्देश:
- आईटी नियम, 2021:
- भारत सरकार ने डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए “सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021” लागू किए।
- यह नियम डिजिटल मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझने और भ्रामक जानकारी से बचने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- सूचना प्रसारण मंत्रालय की अधिसूचना:
- सूचना प्रसारण मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को पारंपरिक मीडिया के समान अधिकार दिए जाएंगे।
- मंत्रालय के तहत डिजिटल मीडिया को मान्यता और पंजीकरण का प्रावधान है।
- प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI):
- प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया डिजिटल मीडिया को प्रेस स्वतंत्रता के दायरे में मानता है और इसके पत्रकारों को संरक्षण प्रदान करता है।
डिजिटल मीडिया के पत्रकारों की चुनौतियाँ
1. मान्यता की कमी:
- कई जिलों और राज्यों में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मान्यता नहीं दी जाती है। इससे उन्हें सरकारी बैठकों, प्रेस कॉन्फ्रेंस, और सूचना के अधिकार तक पहुँचने में बाधा होती है।
2. दुर्व्यवहार और भेदभाव:
- पुलिस और प्रशासन द्वारा डिजिटल मीडिया पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ सामने आती हैं।
- कई बार उन्हें पारंपरिक मीडिया के पत्रकारों से कमतर माना जाता है।
3. सुरक्षा की अनुपस्थिति:
- डिजिटल पत्रकार अक्सर खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं, परंतु उनके लिए किसी प्रकार की सुरक्षा या संरक्षण के ठोस उपाय नहीं हैं।
कानूनी अधिकार और सुरक्षा उपाय
1. भारतीय संविधान के तहत अधिकार:
- अनुच्छेद 19(1)(a): यह अनुच्छेद प्रत्येक नागरिक को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
- डिजिटल मीडिया के पत्रकार भी इस अधिकार के तहत आते हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग करने का अधिकार है।
2. प्रेस की स्वतंत्रता:
- सुप्रीम कोर्ट ने कई बार अपने निर्णयों में कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है। डिजिटल मीडिया पत्रकार इस स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा हैं।
3. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI):
- डिजिटल पत्रकार सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग करके सरकारी सूचनाओं तक पहुँच सकते हैं।
4. पुलिस एक्ट और आईपीसी की प्रासंगिक धाराएँ:
- किसी भी पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार करने पर संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई आईपीसी की धारा 352 (आपराधिक बल का उपयोग) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत की जा सकती है।
डिजिटल मीडिया को मान्यता और सम्मान दिलाने के प्रयास
ईएसओ इंडिया और वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़ की पहल:
ईएसओ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़ के संचालक निदेशक ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें की गईं:
- डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मान्यता देने का कानून लागू करना।
- प्रत्येक राज्य और जिले में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को मान्यता प्रमाणपत्र प्रदान करना।
- डिजिटल पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना।
- डिजिटल मीडिया को पारंपरिक मीडिया के समान अधिकार और सम्मान देना।
सरकार और प्रशासन से अपेक्षाएँ
1. मान्यता और पंजीकरण प्रक्रिया:
- सूचना प्रसारण मंत्रालय को सभी राज्यों और जिलों में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के लिए मान्यता पंजीकरण प्रक्रिया सरल और सुलभ बनानी चाहिए।
2. जागरूकता अभियान:
- पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को डिजिटल मीडिया के महत्व और इसके पत्रकारों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण आयोजित करना चाहिए।
3. सुरक्षा के उपाय:
- डिजिटल पत्रकारों को धमकी या हमले की स्थिति में पुलिस सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
डिजिटल मीडिया आधुनिक युग की आवश्यकता है। यह समय की माँग है कि इसे पारंपरिक मीडिया के समान अधिकार और सम्मान दिया जाए। केंद्र और राज्य सरकारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि डिजिटल मीडिया के पत्रकार स्वतंत्र रूप से काम कर सकें और उन्हें सभी आवश्यक संसाधन और सुरक्षा प्रदान की जाए।
डिजिटल मीडिया के प्रति भेदभाव और दुर्व्यवहार को समाप्त करने के लिए ठोस कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और निष्पक्ष सूचना के अधिकार की रक्षा होगी।